डी.ए.वी. आंदोलन और विचारधारा
नवीन विचारों और नव निर्माण का पक्षधर हमारा विद्यालय आर्य समाज के पद चिह्नों का अनुसरण करते हुए आज उन्नति के नए आयामों को छू रहा है | प्राचीन काल से चली आ रही विचारधारा और परंपरा का पालन करते हुए आज हम जीवन मूल्यों को छात्रों में स्थापित करते हुए आगे कदम बढ़ा रहे हैं | शिक्षण की नवीन प्रविधियों को अपनाना, तकनीकी शिक्षा, वैज्ञानिक क्षेत्र में नवीन खोज, खेल जगत के सभी आयामों को छूने में विद्यालय और संस्था हमेशा अग्रसर रहे हैं | ‘आर्य’ शब्द का अर्थ है - श्रेष्ठ और प्रगतिशील | आर्य, जो वेदों के अनुकूल चलने का प्रयास करते हैं | दूसरों को उस पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं । स्वामी दयानंद, महात्मा हंसराज और स्वामी श्रद्धानंद जी ने जिन जीवन मूल्यों को लेकर आर्य समाज की स्थापना की थी उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए समाज को नया रूप और आकार देने की दिशा में भरपूर कार्य किए जा रहे हैं | आर्य समाज ने मूर्तिपूजा, अंधविश्वास, जाति प्रथा और अस्पृश्यता से लेकर बहुविवाह, बाल विवाह, विधवाओं के साथ दुर्व्यवहार, पर्दा प्रथा और लिंगों के बीच असमानता जैसी धार्मिक और सामाजिक बुराइयों को खारिज करते हुए वैदिक मूल्यों का पुनरुत्थान किया। आर्य समाज का मानना है- 'हमें अज्ञानता को दूर करने और ज्ञान को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखना चाहिए । डीएवी संस्थान युवाओं को शिक्षित करके और उन्हें उद्देश्यपूर्ण गतिविधियों में शामिल करके जिम्मेदारी और परिवर्तन की भावना पैदा करने का प्रयास करते हैं, ताकि वे उत्प्रेरक बन सकें । किसी भी सामाजिक गतिविधि के पीछे की भावना उसकी सीमा और गुणवत्ता के साथ-साथ उसकी निरंतरता को भी निर्धारित करती है। डीएवी के सामाजिक कार्यक्रम समस्या निवारक और सुधारात्मक दोनों रहे हैं । विद्यालय इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संगोष्ठी, कार्यशाला, भाषण प्रतियोगिता, अतिथि व्याख्यान, धर्म शिक्षा, सामाजिक जागरूकता शिविर, चरित्र निर्माण शिविर, वैदिक चेतना शिविर, सार्वजनिक रैलियाँ / जुलूस और अभियान चलाते हैं । डीएवी का एक त्रिपक्षीय चरित्र है - यह एक शैक्षिक संगठन, राष्ट्र निर्माण संगठन और एक प्रगतिशील आंदोलन के रूप में सामाजिक स्वास्थ्य को निरंतर सुधार रहा है । अतः आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए और सशक्त विचारधारा के रूप में विद्यालय मील का पत्थर साबित हो रहा है |